Posted On: 04 OCT 2023 3:24PM by PIB Delhi
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) और डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन (डीआईबीडी) भाषिनी के बीच सहयोग का उद्देश्य वित्तीय सेवाओं के परिदृश्य में प्रचलित भाषा बाधाओं को तोड़ना है। अपने संयुक्त प्रयासों के माध्यम से, दोनों भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देने वाले नवपरिवर्तनकारी समाधानों का पता लगाने और उन्हें विकसित करने के लिए तैयार हैं।
वित्तीय सेवा क्षेत्र के भीतर भाषाई समावेशन की तत्काल आवश्यकता को पहचानते हुए, डीआईबीडी और आरबीआईएच ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान पहले ही एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह रणनीतिक साझेदारी स्थानीय भाषाओं में संचार को सक्षम करके वित्तीय सेवाओं में क्रांति लाने के लिए तैयार है। इसका प्राथमिक उद्देश्य उपयोगकर्ताओं तक उनकी मातृभाषा में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुंच का विस्तार करना है, जो अंततः सभी के लिए निर्बाध बैंकिंग अनुभव प्रदान करता है।
मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान, डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ नाग ने इस प्रयास में एक माध्यम के रूप में आवाज की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा, “आवाज़ को एक माध्यम के रूप में उपयोग करते हुए, भाषिनी वित्तीय समावेशन, आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकती है और वित्तीय साक्षरता बढ़ा सकती है। भाषा अनुवाद और ध्वनि प्रासेंसिग में अपनी क्षमताओं के साथ, भाषिनी इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस साझेदारी के ज़रिए, हम भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के नए तरीके खोजने के लिए मिलकर काम करेंगे। हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति के लिए वित्तीय सेवाओं को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना है, चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों।"
आरबीआईएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश बंसल ने डिजिटल युग में विश्वास, गति और सुविधा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा, “इस तेजी से विकसित हो रही डिजिटल दुनिया में, तीन स्तंभ नवप्रवर्तन का मार्गदर्शन करते हैं: विश्वास, गति और सुविधा। डिजिटल समाधान गति और सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन उपयोगकर्ता का विश्वास अर्जित करना होगा। उपयोगकर्ताओं की मातृभाषा में वित्तीय सेवाएं प्रदान करने से डिजिटल वित्तीय समाधानों में उनका विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। अपनी संयुक्त क्षमताओं के साथ, हमें विश्वास है कि हम वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में मौजूद भाषा संबंधी बाधाओं को दूर कर सकते हैं। साथ मिलकर, हम लोग एक समावेशी आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में काम करेंगे, जहां भाषा कोई बाधा नहीं होगी।''
यह सहयोग एक बदलते फिनटेक क्षेत्र की पृष्ठभूमि में सामने आया है, जो स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच और कम डेटा उपयोग लागत से प्रेरित है। एक महत्वपूर्ण आरंभिक कदम के रूप में, भाषिनी ने कई भाषाओं में निर्बाध ऋण के लिए एक सार्वजनिक टेक प्लेटफॉर्म शुरू करने की योजना बनाई है। इस प्लेटफॉर्म का लक्ष्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण वितरण को सुव्यवस्थित और बेहतर बनाना है, जो अधिक वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
यद्यपि इन प्रगतियों ने देश के वित्तीय समावेशन प्रयासों को आगे बढ़ाया है, लेकिन आबादी के विशिष्ट क्षेत्र और वर्ग औपचारिक वित्तीय क्षेत्र के हाशिए पर बने हुए हैं। यह सहयोग उन्हें स्थापित वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतीक है।
डीबीआईडी के बारे में
डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन, सेक्शन 8 कंपनी के तहत एक डिवीजन है। भाषिनी का विज़न "भाषा बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से योगदानकर्ताओं, साझेदार संस्थाओं और नागरिकों के एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिए सहज भाषा प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना है, जिससे आत्मनिर्भर भारत में डिजिटल समावेशन और डिजिटल सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सके।" अधिक पढ़ने के लिए, www.bhasini.gov.in पर जाएं या ceo-dibd@digitalindia.gov.in पर मेल करें।
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